सोमवार, 11 अगस्त 2008

माला संस्कार

प्रत्येक कामना पूर्ण करने हेतु जप, तप, यन्त्र, रत्न एम् अनुष्ठान इत्यादि का सहारा लेना पड़ता है, जिसमें माला के चयन की भूमिका अनिवार्य प्रतीत होती है। परन्तु अनेकों बार देखा जाता है कि विद्वानों के संपादित किए जाने के उपरान्त भी अनुष्ठानों का फल आधा, अल्प अथा नगण्य ही रह जाता है, जिसका एक कारण प्रयोग में लायी जाने वाली अथवा धारण की गई माला का जाग्रत न होना है। सर्व विदित है कि भगान शंकर ही तन्त्र मन्त्र के जनक हैं और माला मनोकामनाएं सिद्घि हेतु एक आयुध है। अत: माला का संस्कार कर, उसमें सदाशिव का आवाहन कर माला में अंश रूप से निवास करने की प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि आपकी माला जाग्रत हो सके और आपका या आपके यजमान का प्रयोजन सिद्घ हो सके। र्सप्रथम भिन्न देताओं के अनुष्ठानों या मन्त्रों में प्रयोग लायी वाली माला का रिण देना उचित है।
1. भगवान शंकर और उनसेसम्बंधित मन्त्रों में रुद्राक्ष माला का प्रयोग लाभकारी है। अम्बा की उपासना में शुद्घ ‘स्फटिक की माला का प्रयोग करना चाहिए। 3। मां दुर्गा की उपासना में ‘रक्त चंदन की माला का प्रयोग करना चाहिए। 4। मां काली की उपासना में ‘काली हल्दी अथवा ‘नील कमल की माला का प्रयोग करना चाहिए। 5। मां बगलामुखी की उपासना में पीली ‘हल्दी अथवा ‘जीयापोता की माला का प्रयोग करना चाहिए।
6। मां लक्ष्मी की उपासना में ‘ कमलट्टे अथवा स्फटिक की माला शुभ है। 7. भगवान विष्णु के लिए ‘तुलसीज् अथा ‘चन्दनज् की माला का प्रयोग करना चाहिए। 8. भगान गणेशजी के लिए ‘हल्दीज् अथा ‘दूब की जड़ज् की माला उचित है। 9. चन््रमा की शान्ति हेतु ‘मोतीज् ‘शंखज् अथा ‘सीपज् की माला का प्रयोग करें। 10. सूर्य के लिए ‘माणिक्यज्, ‘गारनेटज्, ‘बिल् की लकड़ीज् अथा ‘र्रुाक्षज् की माला का प्रयोग करें। 1.1 मंगल के लिए ‘मूंगें की मालाज्, अथा ‘लाल चंदन की मालाज् उचित स्थान रखती है। 12. बुध के लिए ‘पन्नाज् अथा ‘कुशामूलज् की माला प्रयोग करें। 13. बृहस्पति के लिए ‘हल्दीज् अथा ‘जीया पोताज् की माला प्रयोग करें। 14 शुक्र के लिए ‘स्फटिकज् की माला का प्रयोग करें। 15. शनि के लिए ‘नीलम्ज् ‘बैजयन्तीज् अथा ‘जामुन की गुठलीज् की माला प्रयोग करें। 16. राहु के लिए ‘गोमेदज्, ‘चन्दनज् अथा ‘कच्चे कोयलेज् की माला शुभ है। 17. केतु के लिए ‘लाजार्तज् अथा ‘लहसुनियाज् की माला शुभ है।
स्तुत: र्रुाक्ष की माला सभी देी देताओं अथा ग्रहों की उपासना में प्रयोग की जा सकती है। माला के चयन के उपरान्त माला के मनकों की संख्या सुनिश्चित करनी चाहिए, जसे -ज् अर्थ एम् धन सम्बन्धित प्रयोग में तीस मनके की माला उपयुक्त है।ज् र्स कामना सिद्घि हेतु सत्ताईस मनके की माला प्रयोग में लानी चाहिए।ज् मारण कार्यो में पन््रह मनको की माला प्रयोग में लायी जानी चाहिए।ज् मोक्ष के लिए एक सौ आठ मनकों की माला उपयुक्त है। मेरे मतानुसार 108 मनकों की माला सभी कार्य हेतु सिद्घ है। सुमेरु की गणना मनकों की गणना में नगण्य है, अत: सुमेरु को मनकों के साथ नहीं गिनना चाहिए। सुमेरु प्रत्येक माला में अनिार्य है। अब माला का धागा किस रंग का हो यह प्रश्न चिारणीय है।
ज् शीकरण एम् लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लाल रंग का रेशमी धागा होना चाहिए। ज् तन्त्र एम् मारण या काले प्रयोगों में काला धागा प्रयोग में लाना चाहिए। ज् मोक्ष एम् शान्ति कार्यो में सफेदधागा प्रयोग करना चाहिए। धातु तारों में तांबा, रजत एम् स्र्ण क्रमश: शुभ हैं। माला के दो मनकों के मध्य गाँठ अश्य लगानी चाहिए। सुमेरु पर धागे अथा तार के ढाई फेरे होने चाहिएं। अब माला तैयार है।
डॉ दीनदयाल मणि त्रिपाठी