tantraphilosophy

गुरुवार, 26 नवंबर 2009

vartali danDnayika

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मंगलवार, 10 नवंबर 2009

divya chaitanya g

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मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

कठोपनिषद् दिव्यामृत - प्रथम अध्याय द्वितीय वल्ली

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प्रथम अध्याय द्वितीय वल्ली अन्यच्छेयोऽन्यदुतैव प्रेयस्ते उभे नानार्भे पुरुषं सिनीतः। तयोः श्रेय आददानस्य साधु भवति हीयतेऽर्थाद्य उ प्रेयो वृ...
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कठोपनिषद १ अध्याय , १ वल्ली

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ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: शब्दार्थ: ॐ =परमात्मा का प्रती...
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dindayal mani
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